हिमाचल प्रदेश ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में न केवल राष्ट्रीय अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई
धर्मशाला -- मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में न केवल राष्ट्रीय अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई है। प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण पहल पर अटल बिजली बचत योजना वर्ष 2008 में शुरू की गई थी। मुख्यमंत्री धूमल ने यह जानकारी सदन में दिए गए एक वक्तव्य में दी है।
उन्होंने बताया कि अटल बिजली बचत योजना के तहत वर्ष 2008 में प्रदेश सरकार ने प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को उच्च गुणवत्ता के चार सीएफएल उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया था। इस योजना के तहत प्रदेश के लगभग 15 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को लगभग 63.72 करोड़ की लागत से यह वितरित किए गए हैं। सीएफएल के उपयोग से सामान्य बल्बों की तुलना में लगभग 70 प्रतिशत बिजली की बचत होती है। बिजली बोर्ड के आकलन के अनुसार लगभग 17.5 करोड़ यूनिट की वार्षिक बचत हुई है और इससे बिजली को प्रदेश के बाहर और विशेष रूप से सर्दी के महीनों में बेच कर अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ है। साथ ही इस योजना को कार्बन क्रेडिट प्राप्त करने के लिए भी प्रकरण यूएनएफसीसी को भेजा गया है। इसके स्वीकृत होने की स्थिति में लगभग 8 से दस करोड़ रुपये वार्षिक का अतिरिक्त लाभ भी विद्युत बोर्ड कंपनी को प्राप्त होगा। प्रदेश सरकार की इस अनूठी पहल की केंद्र सरकार ने भी सराहना की और इसका अनुसरण कर कई प्रदेशों व केंद्र सरकार ने वर्ष 2009 में लैंप बचत योजना शुरू की। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने स्वयं सरकार को पत्र लिखकर योजना के लिए बधाई दी, बल्कि यह भी आश्वासन दिया किया कि केंद्र सरकार भी इस योजना में सहयोग देने को तैयार है। उन्होंने बताया कि इस योजना को लागू करने के लिए सीएफएल की खरीद खुले टेंडरों के माध्यम से प्रतिस्पर्धा के आधार पर की गई है। केवल आईएआई मार्ग दशमलव 85 पावर फैक्टर के बल्ब जो बहुत उच्च गुणवत्ता के हैं की खरीद की गई है। अभी तक प्राप्त सूचना के अनुसार कुल वितरित लगभग 59:18 लाख बल्बों में से केवल 3.71 लाख को ही बदलने की नौबत आई है जो केवल 6.26 प्रतिशत है। इससे स्पष्ट है कि खरीद किए गए बल्ब उच्च गुणवत्ता के हैं और इस संबंध में कोई भी शिकायत किया जाना निराधार है। उन्होंने कहा कि खरीद प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका संख्या 2435 या 2008 कांग्रेस के सेवादल प्रदेशाध्यक्ष की ओर से उच्च न्यायालय में दायर की गई थी को भी उच्च न्यायालय ने 24 फरवरी, 2009 को निराधार ठहराते हुए खारिज कर दिया है




