कौल सिंह ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया
धर्मशाला--- विधानसभा सत्र के तीसरे दिन नियम -64 के तहत विधायक कौल सिंह ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया। इसमें उन्होंने आईजीएमसी शिमला में डॉक्टरों की लापरवाही से डेंटल डॉक्टर की मौत और टीएमसी में गर्भवती महिला की गलत एचआईवी रिपोर्ट से उसके बच्चे की मौत के मामले को गंभीरता से लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस मामले से स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा है। प्रदेश को इस क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड मिल रहा है लेकिन ऐसे हादसे होना चिंता का विषय है। डेंटल डॉक्टर का आईजीएमसी में उनके ही पेशे के चिकित्सकों ने सही तरह से उपचार नहीं किया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। वहीं, निर्धन परिवार से संबंधित कांगड़ा जिले के बड़ोह गांव की अनुबाला की डिलीवरी में टांडा मेडिकल कॉलेज की लापरवाही सामने आई है, यह शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि सरकार को इन हादसों को हल्के में नहीं लेना चाहिए और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए। आम जनता इन घटनाओं को अस्पतालों में भी असुरक्षित महसूस कर रही है। चर्चा में भाग लेते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. राजीव बिंदल की अनुपस्थिति में आईपीएच मंत्री रविंद्र रवि ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में जवाब प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में उपचार के लिए डेंटल डॉक्टर संजीव शर्मा का उचित उपचार किया गया था लेकिन वह ऐसी बीमारी से पीड़ित थे, जिससे उनकी मौत हो गई। ऐसे में चिकित्सकों पर दोष मढ़ना गलत है। स्वास्थ्य विभाग से इससे संबंधित सारी सूचना एकत्रित की है और इसमें ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सुझाव पर इसकी फिर जांच करवाई जाएगी। वहीं, कौल सिंह ने कहा कि सरकार आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रही है। यदि डॉक्टर की स्थिति खराब थी तो उन्हें पहले ही दिन से आईसीयू में क्यों नहीं रखा, सीटी स्कैन में देरी और बीमारी के विशेषज्ञ से जांच क्यों नहीं करवाई गई। चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि सरकार ने एक बार के एचआईवी टेस्ट को मान्य नहीं किया है। यदि ऐसा कोई मामला है तो उसका दूसरी बार टेस्ट होगा लेकिन टीएमसी में संबंधित मामले में बाहर टेस्ट करवाया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार भविष्य में इस संबंध में सतर्क है




