विज्येंदर Sharmaअमर उजाला हिमाचल में स्थिति मजबूत करने में जुटा

अब अमर उजाला हिमाचल प्रदेश में अपनी स्थिति को मजबूत करने मे जुट गया है। कंपनी के डायरेक्टर अतुल माहेश्वरी ने पिछले हफ्ते धर्मशाला में संपादकीय के लोगों के साथ बैठक कर उन्हें अखबार को धारदार करने के तरीके बताए। हिमाचल के संपादकीय प्रभारी गिरीश ने और धर्मशाला के इंचार्ज राजेश राठौर के साथ-साथ पूरे संपादकीय में सभी से उन्होंने हिमाचल में अन्य अखबारों के मुकाबले अमर उजाला के नहीं बढ़ने का कारण पूछा। नार्थ रीजन इंचार्ज कार्यकारी संपादक भी उनके साथ थे। पहले हिमाचल को चंडीगढ़ से उदय जी ही देखते थे। ढाई साल से अमर उजाला ने हिमाचल को नोएडा सीधे नियंत्रण में रखा। इस बीच हिमाचल में दूसरे अखबारों ने अमर उजाला की कमजोरियों का लाभ उठा लिया।

अब पंजाब केसरी हिमाचल में नंबर वन का दावा कर रहा है। इस स्थिति को देखते हुए अतुल जी ने अमर उजाला की टीम को और सक्रिय होने के लिए कहा। साथ ही उन्होंने फिर से हिमाचल को चंड़ीगढ़ से जोड़ दिया। बैठक में ही उन्होंने उदय जी को हिमाचल में फिर सक्रिय होने के लिए कहा। अतुल जी ने अन्य सभी विभागों के साथ भी बैठक की और स्पष्ट बता दिया कि हिमाचल अमर उजाला के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।

Posted by BIJENDER SHARMA on 5:04 AM. Filed under , , . You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0

1 comments for विज्येंदर Sharmaअमर उजाला हिमाचल में स्थिति मजबूत करने में जुटा

  1. देर आयद दुरुस्त आयद। आदरणीय अतुल जी श्री शशिशेखर जी के भरोसे अमर उजाला को छोड़कर इतने बेफिक्र हो गये थे कि उनको 10 साल तक पता ही ना चला कि अखबारों की दुनिया कहां से कहा चली गई है। एक वक्त था जब अमर उजाला का हिमाचल प्रदेश का संस्करण नोएडा से ही बनकर जाता था। शिमला में तब एस राजेन टोडरिया हुआ करते थे और नोएडा में अजय शर्मा, जो आजकल किसी टीवी चैनल में बहुत बड़ी पोस्ट पर हैं। हिमाचल का संस्करण ऐसा लगता था कि किसी हिमाचली ने ही बनाया है। यही कारण है कि चैल जैसे छोटे से गांवनुमा कस्बे में 45 कॉपियां बिकती थीं जबकि दैनिक भास्कर की महज़ 5। शिमला में नगर निगम के नीचे वाली दुकान पर 10 बजे के बाद अमर उजाला ब्लैक में भी नहीं मिलता था। नारकंडा, नालदेहरा ही नहीं लाहौल-स्पीति तक सुना है अखबार का बड़ा जलवा था। मंडी में और धर्मशाला में हर घर में अमर उजाला आता था। अमर उजाला ने उस दौर में हिमाचल में जो राज किया वो पत्रकारिता के इतिहास में किसी ने नहीं किया होगा। लेकिन 2003 से हालात बिगड़ते गये और आज सबके सामने हैं कि अतुल भाई साहब को मीटिंग लेनी पड़ रही हैं। अतुल जी किसी पर भरोसा करते हैं तो जमकर करते हैं, यही उनकी कमी है। और कई बार ये कमी अखबार को बहुत भारी पड़ जाती है।

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