पारम्परिक स्त्रोतों, बावड़ियों में ङ्कलोरिने६ान करें :एसडीएम

पारम्परिक स्त्रोतों, बावड़ियों में ङ्कलोरिने६ान करें :एसडीएम
धर्मशाला २३ जुलाईः एसडीएम पालमपुर श्री रत्न गौतम ने उपमण्डल के लोगों से आग्रह किया है कि वह बरसात के मौसम में पेयजल स्त्रोतों को साफसुथरा रखें और कलोरीनयुङ्कत पानी का ही प्रयोग करें। ङ्कयोंकि ८० प्रति६ात बिमारियां दू८िात पेयजल पदार्थ पीने से होती हैं। वि६ो८ाकर बरसात के मौसम में दू८िात पानी के कारण होने वाली बिमारियों पर रोकथाम करना जरूरी है तथा इसके लिए एहतियात बरतना उचित उपाय है।
श्री रत्न गौतम ने आज पालमपुर में ''जल जनित रोगों'' की रोकथाम हेतू उपमण्डल स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उ्रहोंने कहा कि अपने पारम्परिक स्त्रोतों, बावडि यों और भण्डारन किये गये पानी का उचित रखरखाव करें। इनकी सफाई कर उचित मात्रा में ब्लीचिंग और कलोरीन का प्रयोग कर इ्रहें कलोरीनयुङ्कत बनाएं। उ्रहोंने बताया कि स्त्रोतों के आसपास ५ाौच आदि न करें तथा स्त्रोतों के इर्दगिर्द नालियों का निर्माण करें ताकि बरसात के कारण दू८िात पानी जल स्त्रोतों में न जाए।
उ्रहोंने खण्ड विकास अधिकारियों को निर्दे६ा दिए कि वे पंचायती राज संस्थाओं, युवक, महिला मण्डलों तथा स्वंयसेवी संस्थाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर पारम्परिक जल स्त्रोतों, बावडि यों आदि को साफ करवाने के साथ सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के साथ सम्रवय स्थापित कर कलोरीने६ान सुनि६िचत करें।खण्ड चिकित्सा अधिकारी भवारना और थूरल ने जानकारी दी कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में कलोरीन की गोलियां बांटी जा रही है तथा कलोरीन का उचित मात्रा में प्रयोग करने के लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। उ्रहोंने कहा कि इसकी अधिक मात्रा हानिकारक होती है जिसकी सही मात्रा १५ से २० लीटर पानी में एक गोली डालना है तथा इसका प्रयोग आधे द्घण्टे तक न करें व इसे ढक कर रखें। उ्रहोंने लोगों से आग्रह किया कि फल और सब्जियों का उपयोग सावधानी से करें। फलों को खाने से पहले अच्छी तरह धो कर ही खाएं। उ्रहोंने कहा कि अगर पीने का पानी कलोरीनयुङ्कत सम्भव न हो तो इसे उबाल कर और छान कर ही पीयें। उ्रहोंने कहा कि इस स्रदर्भ में लोगों को जागरूक करने के लिए पम्पलैट भी बांटे जाएंगे।

Posted by BIJENDER SHARMA on 8:58 PM. Filed under , , . You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0

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