ज्वालामुखी कालेज में चोर दरवाजे से नौकरियों को बांटने का सिलसिला
ज्वालामुखी कालेज में चोर दरवाजे से नौकरियों को बांटने का सिलसिला
ज्वालामुखी 8 दिसंबर (बिजेन्दर शर्मा) । स्थानीय डिग्री कालेज में इन दिनों की जा रही भर्तियों को लेकर सवाल उठने लगे हैं।कालेज में जिस तरीके से साईंस क्लासिज षुरू करने की बात हो रही थी। उसके विपरीत कालेज प्रशासन ने कुछ चहेतों को नौकरियां बांटने का काम इन दिनों शुरू कर दिया है। मंदिर न्यास के आर्थिक सहयोग से चल रहे इस कालेज में शुरू से ही राजनिति हावि होती रही है। इस बार यहां कालेज प्रशासन साईंस क्लासिज शुरू करने जा रहा है। लेकिन अभी तक न तो परिसर में कोई मूलभूत सुविधा है न ही यू जी सी के मापदंडो के मुताबिक कोई नियुक्ति हो पाई है।हालांकि हिमाचल यूनिवर्सिटी ने कालेज के लिये साठ मेडिकल इतनी ही नान मेडिकल की सीटों की मजूंरी दे दी है। लेकिन कालेज में इस के प्रति कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा। यही वजह है कि अब तक कालेज में मात्र बीस छात्रों ने ही दाखिला लिया है। जबकि अकादमिक सेशन शुरू हो चुका है। इस सबके बावजूद कालेज प्रशासन ने पिछले दिनों बाकायदा कालेज लेक्चरर के लिये साक्षात्कार बुलाये। इसकी अंतिम तिथी 30 अगस्त है। बताया जा रहा है कि इन पदों के लिये कांगडा के जिलाधीश कार्यालय में अब तक अस्सी आवेदन आ चुके हैं।इसकी पुष्टिï उनके कार्यालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर की। लेकिन कालेज प्रशासन ने इस सबके बावजूद अंदरूनी राजनिति के चलते रातों रात कुछ लेक्चरर कालेज में रख लिये। व बहाना बनाया जा रहा है कि यह लोग बिना वेतन के काम करेंगे। दिलचस्प तथ्य यह है कि जो लोग बिना किसी साक्षात्कार के रखे जा रहे हैं। उनमें कांगडा जिला से ताल्लुक रखने वाले धूमल सरकार के एक कबीना मंत्री का खास रिशतेदार भी है। यही नहीं इनमें से कोई भी यू जी सी मापदंडो पर खरा नहीं उतरता। वहीं एक तरफ साक्षात्कार बुलाना तो दूसरी ओर गुपचुप तरीके से पद भर लेना किसी को भी रास नही आ रहा। निर्धारित मापदंडो के मुताबिक 55 फीसदी अंक वाला ही लेक्चरर के लिये योगय है। 30 जून 2010 को यू जी सी ओर जारी निर्देशों में स्पष्टï कहा गया है कि अब गुड अकादमिक रिकार्र्ड व पी एच डी अनिवार्यता है लेकिन यहां बी एस सी को बी एस सी ही पढायेगा। इस सबके पीछे मंदिर प्रषासन की मंशा समझ से परे है। व इलाके के प्रबुद्घ लोग हैरान हैं। जाने माने शिक्षाविद् अशोक गौतम ने कहा कि यहां कालेज प्रशासन की दिलचस्पी अपने लोगों को नियुकत करने की है। न कि परिसर में पठन पाठन का महौल सुधारने की।बकौल उनके बीस छात्रों ने ही दाखिला लिया है। तो इस पर दोबारा विचार किया जाना चाहिये । वह मानते हैं कि जब यू जी सी के मापदंड ही पूरे नहीं होंगे तो इसका औचित्य क्या है। इस मामले पर कालेज के कार्यकारी प्राचार्य मंदिर तहसीलदार सुदेश नैयर ने कुछ भी बोलने से इंकार करते हुये कहा कि देहरा के एस डी एम कुछ बता पायेंगे। लेकिन देहरा के एस डी एम राकेश शर्मा ने टेलिफोन पर प्रयास करने के बाद भी संपर्क नहीं हो पाया।




