विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे गिरफ्तार

लंदन ---करीब एक हफ्ते से छिप रहे विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को बलात्कार के एक मामले में आज यहां से गिरफ्तार कर लिया गया। बहरहाल, उनकी गिरफ्तारी को प्रेस की आजादी पर एक हमला बताया जा रहा है क्योंकि उनकी बहुचर्चित वेबसाइट ने हाल ही में अमेरिका के कई गोपनीय दस्तावेजों का खुलासा किया है। असांजे ने स्वीडन के एक वॉरंट के आधार पर आत्मसमर्पण किया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
आस्ट्रेलियाई नागरिक असांजे (39) को मेट्रोपोलिटन पुलिस ने स्वीडन से जारी हुए एक वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया है। उनके खिलाफ लगे यौन उत्पीडऩ के आरोपों को लेकर यह वारंट जारी हुआ था।
विकीलीक्स के संस्थापक और सनसनीखेज खुलासे करने वाली इस वेबसाइट के प्रधान संपादक असांजे ने स्वीडन की दो महिलाओं का यौन उत्पीडऩ करने के आरोपों का खंडन किया है। पुलिस ने एक बयान में कहा, ‘मेट्रोपोलिटन पुलिस की प्रत्यर्पण इकाई ने जूलियन असांजे को बलात्कार के आरोप में आज सुबह स्वीडन के अधिकारियों की ओर से गिरफ्तार किया।’
असांजे को एक यूरोपीय गिरफ्तारी वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया गया। उसने लंदन पुलिस थाने में सुबह साढ़े नौ बजे पहुंचने की सूचना पहले से दे रखी थी। स्वीडन के अधिकारियों का आरोप है कि असांजे ने गैर-कानूनी तरीके से दबाव बनाया, यौन उत्पीडऩ किया तथा बलात्कार किया। इन सभी अपराधों को उन्होंने अगस्त 2010 में अंजाम दिया। उनकी गिरफ्तारी के कुछ ही देर बाद विकीलीक्स के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस गिरफ्तारी से अधिक गोपनीय दस्तावेज जारी होने से नहीं रूकेंगे।
उन्होंने कहा कि अमेरिका के कई गोपनीय दस्तावेजों का सिलसिलेवार तरीके से खुलासा होने के बीच असांजे की गिरफ्तारी प्रेस की आजादी पर हमला है। असांजे को आज ही वेस्टमिंस्टर शहर की मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया जाना है। हालांकि, कानूनी प्रक्रियाओं के चलते उनके प्रत्यर्पण में लंबा समय लग सकता है लेकिन यदि आरोपी अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल नहीं करता है तो यह प्रक्रिया तेजी से पूरी हो सकती है।
इस बीच, असांजे के समर्थकों ने आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड को एक खुला पत्र लिखकर उनका बचाव करने की अपील की है। इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले जाने माने वकील जूलियन बर्नसाइड ने कहा है कि सबसे पहली बात तो यह कि असांजे आस्ट्रेलियाई नागरिक हैं, उनकी सुरक्षा देश की जिम्मेदारी है और देश को अपनी इस जिम्मेदारी को निभाने से नहीं मुकरना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जूलिया गिलार्ड असांजे की स्वदेश वापसी को वस्तुत: असंभव बना रही हैं और यहां तक कि प्रधानमंत्री ने उनके पासपोर्ट को रद्द करने की धमकी दे दी है। असांजे के वकील मार्क स्टीफन्स ने बताया, ‘उन पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है।’ उन्होंने कहा कि समय आने पर हम सचाई और इंसाफ हासिल कर लेंगे। उधर स्वीडन में विकीलीक्स के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘असांजे की जान को खतरा है और उकसावे में उनकी हत्या हो सकती है।’
लंदन ---- खोजी इंटरनेट साइट विकीलीक्स के मुख्य संपादक जूलियन असांजे के वकील मार्क स्टीफेंस ने कहा है कि असांजे निर्दोष हैं और जल्द ही इंग्लैंड पुलिस से बात करेंगे। स्टीफेंस ने बीबीसी से कहा कि असांजे के खिलाफ किसी तरह का आरोप नहीं है और वह शीघ्र पुलिस अधिकारियों से मिलना चाहते हैं। उन्होंने कहा .. असांजे के खिलाफ कोई आरोप नहीं है। पुलिस की मांग के अनुसार हम कोशिश कर रहे हैं कि उनसे असांजे की शीघ्र मुलाकात हो सके और वह जो चाहते हैं उन सवालों के जबाव दिये जा सकेंगे। असांजे पर स्वीडन में बलात्कार के आरोप दर्ज हैं लेकिन उनका कहना है कि अमरीका के इशारे पर उन्हें परेशान करने के लिए यह सब किया जा रहा है। मूल रूप से आस्ट्रेलिया के रहने वाले असांजे की वेबसाइट विकीलीक्स ने अमरीकी रक्षा मंत्रालय के कई गोपनीय दस्तावेजों के जरिए सनसनीखेज खुलासों का दावा किया है। अमेरिका ने पश्चिम एशिया में शांति स्थापना की कोशिशों के तहत ईरान और सीरिया से इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों को हथियारों की आपूर्ति रोकने के लिए जी जान से प्रयास किये हैं। इंटरनेट साइट विकीलीक्स द्वारा सार्वजनिक किये गये अमेरिकी विदेश विभाग के गोपनीय दस्तावेजों के हवाले से ब्रिटेन के ..गाॢडयन.. समाचार पत्र ने आज बताया कि ईरानी और सीरियाई हथियार पश्चिम एशिया के इस्लामी उग्रवादी संगठनों हाथों में जाने से रोकने के लिए अमेरिका ने काफी काम किया है।
विकीलीक्स के अनुसार अमेरिका ने हथियारों की आपूर्ति फलस्तीनी संगठन हमास और लेबनान के इस्लामी संगठन हिजबुल्ला को नहीं करने के लिए अरब देशों की सरकारों पर काफी दबाव बनाया था। अमेरिका ने जनवरी 2009 में सूडान से आग्रह किया था कि वह ईरानी हथियारों की आपूर्ति की अनुमति न .न. दे। उसे यह आशंका थी कि ये हथियार गाजा पट्टी में हमास विद्रोहियों के हाथों में न.न पड़ जाएं।
सूडान का कहना है कि उसने कभी भी हथियारों की खेप ईरान या अन्य किसी देश और संगठन को नहीं भेजी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोआविया उस्मान खालिद ने कहा..हम हथियारों की खेप सूडान से होते हुए किसी भी स्थान पर भेजने की अनुमति नहीं दे सकते हैं




