एक खास मुलाकात हिमाचल परदेश के पूर्व मुख्यमंत्री केंद्रीय इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह के साथ

एक खास मुलाकात हिमाचल परदेश के पूर्व मुख्यमंत्री केंद्रीय इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह के साथ
विज्येंदर शर्मा

शिमला ---- केंद्रीय इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ भी जो सीडी आई है उसकी सत्यता को क्यों नहीं देखा जा रहा? लेकिन धूमल सरकार यह देख रही है कि यह सीडी बनाई व भेजी किसने है। वीरभद्र सिंह ने एक मुलाकात में कहा कि मैं यह भी जानना चाहता हूं कि प्रेम कुमार धूमल ने कितनी संपत्तिसत्ता में आने के बाद बनाई?
उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों वाली जो सीडी है वह विजय सिंह मनकोटिया एवं प्रेम कुमार धूमल की मिलीभगत है, ताकि मुझे झूठे केसों में फंसाकर राजनीतिक लाभ ले सकें। उन्होंने कहा कि जब पिछली बार प्रेम कुमार धूमल सत्ता में थे तो उन्होंने मेरे खिलाफ 24 आरोप लगाए थे और जांच के लिए सीबीआई को भेजे थे। लेकिन तब केंद्र में भी भाजपा की सरकार थी और राज्य में भी, लेकिन तब भी मैं बेदाग निकला था। तब प्रेम कुमार धूमल को झटका लगा था। इसीलिए उन्होंने फिर सत्ता से जाते-जाते सागर कत्था केस बनाया, लेकिन यह केस फिर खारिज हुआ। इसके बाद उन्होंने भूमि के मामले बनाए, लेकिन तब भी कुछ नहीं निकला।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि मैंने 48 वर्ष के सत्ताकाल में एक इंच भूमि नहीं खरीदी, लेकिन धूमल बताएं कि उन्होंने सत्ता के बाद कितनी प्रापर्टी बनाई है?
मैं चाहता तो बना सकता था कई मामले
वीरभद्र सिंह ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री था तब मेरे पास प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ बहुत सी फाइलें थी। एक अफसर जो आजकल उनकी नाक का बाल बना है, उसने मुझे कहा था कि 'सर मुझे इजाजत दें तो तीन महीने में मामला सामने ला दूं', तब मैंने ऐसा करने से मना किया।
कब्र से भी बाहर निकालूंगा अफसर
वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रेम कुमार धूमल अपने अफसरों को राजनीतिक विरोधियों को तंग करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं। अफसरों का भी स्तर इतना गिर गया है कि वे पदोन्नति पाने के लिए धूमल की हर इच्छा पूरी करने में लगे हैं। अफसर यह समझ रहे हैं कि वह रिटायर हो जाएंगे, लेकिन मैं उन्हें कब्र से भी बाहर निकालूंगा। उन्होंने कहा कि जो सीडी धूमल के खिलाफ आई है उसमें डीजीपी डीएस मन्हास के साथ प्रेम कुमार धूमल ने कहा है कि जो सीडी मेरे खिलाफ आई है उसे खूब उछालो और वीरभद्र सिंह व प्रतिभा सिंह के फोन टैप करो। यह क्रिमिनल आफेंस है। इस सीडी की तो कोई जांच नहीं हो रही, जबकि मन्हास मुझे बदनाम करने के लिए प्रेस में गए। उन्होंने कहा कि अदालत में ट्रायल से पहले तो मेरा सबसे पहले मीडिया ट्रायल किया जाता है। बार-बार मेरी छवि को बिगाड़ने का प्रयास होता है।
विज्येंदर शर्मा
शिमला ----केंद्रीय इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि सीडी मामले पर उनके पास हाईकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट में जाने का विकल्प खुला है। उन्होंने कहा कि माननीय हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के प्रकाश में उनके पास उक्त विकल्प मौजूद हैं। शिमला में पत्रकारों से बातचीत में वीरभद्र सिंह ने कहा कि उनके खिलाफ प्राथमिकी रद करने के संबंध में हाईकोर्ट में दिए आवेदन को उन्होंने खुद वापस लिया है। इसके अलावा उन्होंने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया था। इसमें हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि सिंगल बैंच यानी एकल पीठ के पास यह शक्तियां नहीं हैं कि जांच एक एजेंसी से दूसरी एजेंसी को दें। इसके लिए संविधान की धारा 226 के तहत प्रावधान है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्राथमिकी रद करने से संबंधित याचिका खारिज होना एक तकनीकी शब्द है। उनकी याचिका खारिज नहीं हुई है, बल्कि उन्होंने प्राथमिकी रद करने संबंधी आवेदन खुद वापस लिया है। अब उनके पास तीन विकल्प मौजूद हैं। हाईकोर्ट के फैसले का वह अपने कानूनी सलाहकारों के माध्यम से अध्ययन कर रहे हैं। इसके बाद वह सुप्रीमकोर्ट जा सकते हैं, हाईकोर्ट जाने का विकल्प भी उनके पास है और सत्र न्यायालय में भी वह मामले को फिर से चुनौती दे सकते हैं।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए उन्होंने इसे सीबीआई को सौंपने की बात कही है। मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल राज्य सरकार की मशीनरी का उनके खिलाफ दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह राजनीति में चार दशक से भी अधिक समय तक जनसेवा कर रहे हैं। यह सब उनकी छवि को खराब करने का महा षड्यंत्र है। इस्पात मंत्री ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद से उनके हजारों शुभचिंतकों ने संपर्क कर उनके साथ होने का विश्वास दिलाया है। यदि मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल यह सोच रहे हैं कि ऐसे हथकंडों से उन्हें हतोत्साहित किया जा सकता है तो वह भ्रम में हैं। मैं एक फाइटर हूं और ऐसी चुनौतियों का सामना करूंगा।
सीएफएल चंडीगढ़ ने मांगा था सीडी का सोर्स व रिकार्डिग उपकरण
वीरभद्र ने कहा कि सीएफएल चंडीगढ़ ने यह भी कहा था कि सीडी का सोर्स क्या है और रिकार्डिग उपकरण क्या है। इस पर जांच एजेंसी ने कहा था कि उन्हें पता नहीं। उन्होंने कहा कि मनकोटिया के पास जितनी भी सीडी का कूड़ा कबाड़ इकट्ठा है, वह उसे जारी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीडी मामले में चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय फारेंसिक जांच प्रयोगशाला द्वारा मांगी गई सूचनाएं तक नहीं दी गई। उस मामले में विजिलेंस ने चंडीगढ़ की प्रयोगशाला को अंतिम जवाब में लिखा है कि उनके पास सीडी की रिकार्डिग उपकरण उपलब्ध नहीं है और कंट्रोल सैंपल उपलब्ध करवाना संभव नहीं है।

Posted by BIJENDER SHARMA on 9:44 PM. Filed under , , , . You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0

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