स्पेशल स्टोरी

विज्येंदर शर्मा
शिमला == प्रदेश हाईकोर्ट ने सीडी मामले में केंद्रीय इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह को हॉल ही में एक झटका दे दिया। हाईकोर्ट ने उनकी ओर से दायर की गई उस याचिका को खरिज कर दिया है जिसमें उन्होंने सीडी प्रकरण को झूठा करार देते हुए इसे निरस्त करने की मांग की थी।
विजिलेंस ने वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह के खिलाफ शिमला के भ्रष्टाचार निरोधक पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज की थी। विजिलेंस ने यह प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पूर्व मंत्री मेजर विजय सिंह मनकोटिया की ओर से जारी कथित लेन-देन वाली सीडी को आधार बनाया था।
वीरभद्र सिंह ने इस सीडी को फर्जी बताते हुए इस मामले को निरस्त करने की मांग की थी जिसे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने वीरभद्र सिंह को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने या किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए 15 दिन का समय दिया है। इसके बाद प्रदेश सरकार वीरभद्र के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने के लिए स्वच्छंद रहेगी।
याचिका खारिज होने के तुरंत बाद प्रार्थियों के अधिवक्ता श्रवण डोगरा ने न्यायालय को बताया कि वे इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती देना चाहते हैं, क्योंकि इस मामले को लेकर महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न जुड़े हैं। प्रतिवादियों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा अगर दो हफ्ते के लिए इस निर्णय पर रोक लगाई जाती है। सरकार ने राहत देने के बारे में आपत्ति जताई।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस तथ्य को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि जिस बातचीत को लेकर प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज की गई है वह 1989—90 की है व प्रतिविादियों को भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा अगर उक्त निर्णय पर अगले दो हफ्ते के लिए स्थगन आदेश पारित किए जाते हैं। इसी के साथ न्यायालय ने अगले दो हफ्ते तक उक्तनिर्णय पर स्थगन आदेश पारित कर दिए। हालांकि न्यायालय की ओर से पारित निर्णय के तहत अंतरिम आदेशों से रोक हटा ली गई।
न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि एकल पीठ को सीआरपीसी की धारा 482 के तहत यह शक्तियां प्राप्त नहीं हैं कि वह मामले की जांच एक एजेंसी से लेकर दूसरी एजेंसी के सुपुर्द करे। यह शक्तियां न्यायालय की खंडपीठ को भारतीय संविधा के अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त हैं। यह महत्वपूर्ण फैसला न्यायाधीश कुलदीप सिंह ने इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह और पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए पारित किए।
प्रार्थियों के खिलाफ प्राथमिकी रिपोर्ट इस्पात मंत्री के वर्तमान निजी सचिव एपी सिंह (आईपीएस) की ओर से तैयार की गई जांच रिपोर्ट के आने के बाद दर्ज की गई थी।
2009 में दर्ज हुआ था मामला
गौरतलब है कि तीन अगस्त 2009 को प्रार्थियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 (1)-(खंड दो) और 3 (2) के तहत शिमला स्थित भ्रष्टाचार निरोधक पुलिस स्टेशन के समक्ष कथित सीडी के आधार पर आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।
मनकोटिया ने जारी की थी सीडी
पूर्व मंत्री विजय सिंह मनकोटिया ने 28 मई, 2007 को धर्मशाला में उक्तऑडियो सीडी को प्रेस को जारी किया था। इसमें प्रार्थियों और पूर्व आईएएस अधिकारी मोहिंद्र लाल के बीच कथित लेनदेन की बात का खुलासा किया गया था।
89-90 में तो सीडी थी ही नहीं
प्रार्थियों ने उक्तप्राथिमिकी को रद्द करने के लिए न्यायालय के समक्ष यह दलील दी थी कि जिस सीडी के आधार पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है वह वर्ष 1989—90 में हुई कथित बातचीत का उल्लेख करती है। यह सीडी जाली है।
उस जमाने में ऑडियो सीडी नहीं हुआ करती थी जबकि ऑडियो कैसेट हुआ करते थे। यह सीडी कहां से आई इसके स्रोत के बारे में कोई पता नहीं है। प्रार्थी ने उसके अलावा उक्त मामले की जांच सीबीआई या प्रदेश के बाहर की एजेंसी से कराए जाने की न्यायालय से गुहार लगाई थी।

Posted by BIJENDER SHARMA on 9:49 PM. Filed under , , , . You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0

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